लगभग एक सप्ताह हुआ ये परिचर्चा शुरू हुए लेकिन अभी तक जिस संख्या में विचार आए हैं उससे लगता नही की ब्लॉग रीडर ज्यादा उत्साहित हैं इस परिचर्चा को लेकर। अन्य विषयों पर काफ़ी विचार प्रवाह हो रहा हैं. इससे जन पड़ता हैं ब्लॉग के रीडर अन्यान्य बातो में जयादा रूचि रखते हैं बनिस्पत मंच को नई दिशा देने में. बड़े ही अफसोश की बात हैं ये.
प्रमोद कुमार जैन
नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपेक्षाएं- परिचर्चा
सोमवार, 5 जनवरी 2009
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