सर्व प्रथम रांची वालों को धन्यवाद कि उन्होंने एक सफल अधिवेशन का आयोजान किया। रांची में अयोजक शाखा के सदस्यों ने दिखा दिया कि आयोजन क्या होता है। उनको ढे़र सारी बधाईयाँ ।
युवा मंच एक बेहत्तर स्वरुप के साथ आज पूरे भारत में अपनी उपस्थती दर्ज करवा रहा है। रांची अधिवेशन में यह तय हो गया कि मारवाड़ी युवा उर्जा से लबालब है, और किसी नई चीज के होने का इन्तजार कर रहा है। युवा मंच जैसा राष्ट्रीय संगठन अब अपने होने का एहसास अगर दिलवाए तब हमारे युवाओं में एक नयी क्रांति का सूत्रपात हो। अब यह सोचना है, कि क्या ऐसा हो कि सर्व भारत में युवाओं में जाग्रति आ जाए। अब हम अपनी ५५० शाखाओं के द्वारा संगठित हो चुकें हैं, अब बारी है कुछ करने की। एक ऐसा प्रकल्प हो जिससे युवा मंच को अपने होने का बार-बार परिचय नहीं देना पड़े। अभी भी हमारे युवा हमारे नेतृत्व की ओर आशा भरी नजरों से देख रहें हैं। अगर ऐसा नहीं होता तब सत्रों में भीड़ नहीं होती । अभी भी हमारे युवा बहुत कुछ जानना चाहतें हैं। यह प्लेटफार्म मंच का हो सकता है, जहाँ वह अपने मन की बात कह सके।
क्या मंच सामाजिक कुरीतियों से लड़ने को तैयार है?
क्या हमारे युवा एक नई पारी नहीं खेलना चाहेगें ?
क्या हमें राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक सक्रिय नही होना चाहिए?
इस तरह के बहुत सवाल हमारे सामने है। नए नेतृत्व को अपने कार्यक्रम इसी अनुरूप बनाने होंगे, जहाँ युवाओं के लिए हर प्रकार के कर्यक्रम हो। रांची अधिवेशन में इस बार युवाओं के विशाल समागम देखने को मिला। जो युवा वहाँ आए थे, उनमे ज्यादातर युवा तीस से चालीस के बीच के थे, अब यह जिम्मेवारी राष्ट्रीय नेतृत्व की है कि वह इन युवाओं के जोश को कैसे बरक़रार रखे। चाहे वह व्यक्तित्व विकास या फिर समाज सुधार के कार्यक्रम से हो, पर यह तय है, कि मंच को अब नए कार्यक्रमों को हाथ में लेने होंगे। प्रसंसा से स्वयं को बचाना होंगा। मंच के स्थापना दिवस 20 जनवरी आने ही वाला है इसे हम किस प्रकार मनायें इस पर समय रहते ही सभी शाखाओं को जानकारी देनी होगी, रजत जयंती वर्ष की रूपरेखा भी हमें बनानी होगी। श्री रतन शाह के उन विचारों को समझना होगा, कि उन्होंने मारवाड़ी समाज को फर्क के साथ जीने का अह्वान किया।
हमें राष्ट्रीय राजनीति में हिस्सा भी लेना चाहिये, चुनाव को उदासीनता से न लेकर मतदान में हिस्सा लेना, वोटर लिस्ट में अपने परिजनों के नाम दर्ज कराने जैसे लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने के मामले में और अधिक सजग होना होगा। ताकी हम राष्ट्र के अच्छे भविष्य की परिकल्पना कर सकेंगें, राष्ट्र का नेतृत्व जितना स्वस्थ्य होगा हम उतने सुरक्षित रह पायेगें। इसके लिये हमें योजना बना कर देनी होगी। अब देखने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी कैसी बनती है। उससे नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के कदमों की पदचाप का अंदाजा हो जायेगा।
ब्लॉग के सभी फोल्लोवेर्स एवं विजिटोर्स को नव वर्ष की हार्दिक बधाई देता हूँ, और निवेदन करूँगा की वे भी अपनी अपेक्षाएँ राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने रखे।
रवि अजितसरिया, गुवाहाटी
नव निर्वाचित राष्ट्रीय अध्यक्ष से अपेक्षाएं- परिचर्चा
गुरुवार, 1 जनवरी 2009
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